डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय Dr Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय से हम जीवन से जुड़े सभी पहलुओ को आसानी से जान सकते है। भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है, वे दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक और, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्ही गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। राधा कृष्णन जी ने हिन्दू धर्म को भारत और पश्चिम दोनो में फैलाने का प्रयास किया, वे दोनो सभ्यता को मिलाना चाहते थे, उनका मानना था कि शिक्षको दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाहिए, क्योकि देश का बनाने में उन्हीे का सबसे बड़ा योगदान होता है।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा -डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय से हमें इतिहास के बारे मे और अधिक जानकारिया मिलती है। राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1988 को तमिलनाडू के तिरूट्टनी गॉव में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था, जो एक गरीब ब्राम्हण थे, और उनकी माता का नाम सिताम्मा था। राधाकृष्णन बचपन से अध्ययनशील थे। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बी. ए. और एम. ए. की उपाधिया प्राप्त की थी। राधा कृष्णन का बचपन और बहुत ही उदार और सामान्य जीवन से जुड़ा हुआ था। उन्होने अपनी प्रारंम्भिक शिक्षा तिरूपति और वर्णाश्रम में प्राप्त की, और फिर मद्रास चेन्नई के प्रेस्बिटेरिन कालेज से अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

उनके प्रारंम्भिक शिक्षा का दौर उनके जीवन में विद्‍या के प्रति गहरी रूचि का प्रतीक था, और यह रूचि उन्हे एक शिक्षाविद और विचारक के रूप में महत्वपूर्ण स्थान पर पहुचने की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के करियर की शुरूआत

राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में की। उन्हाेने 1909 से 1918 तक मद्रास विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र पढ़ाया। 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। 1921 में उन्हे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया।
1936 में राधाकृष्णन को आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप मे नियुक्त किया गया। वह 1952 तक इस पद रहे। इस बीच 1949 से 1952 तक वह भारत के सोवियत संघ में राजदूत भी रहे।

1952 में राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने। उन्होने इस पद 1962 तक कार्य किया। 1962 में उन्हे भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उन्होने इस पद पर 1967 तक कार्य किया।

डॉ राधाकृष्णन का राजनीति में आगमन

डॉ राधाकृष्णन का राजनीति में आगमन स्वतंत्रता के बाद हुआ । 1947 में उन्हे संविधान सभा का सदस्य बनाया गया। उन्होने इस पद 1949 तक कार्य किया। 1952 में राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने। उन्होने इस पद 1962 तक कार्य किया, 1962 में उन्हे भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, उन्होने इस पद पर 1967 तक कार्य किया।

राधाकृष्णन का राजनीति में आगमन उनके दर्शनशास्त्री और शिक्षाविद के अनुभव के आधार पर हुआ। उन्होने भारतीय संस्कृति और दर्शन के बारे में अपने ज्ञान का उपयोग करके देश को एकजूट करने का काम किया। उन्होने सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और आदर्शो के महत्व पर जाेर दिया।

डॉ राधाकृष्णन को मिले सम्मान व अवार्ड (Dr. Sarvepalli Radhakrishan Awards)

डॉ राधाकृष्णन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई समान और अवार्ड मिले। इनमें से कुछ प्रमूुख सम्मान व अवार्ड निम्नलिखित है।

  • भारत रत्न (1954) : भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान
  • जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार (1961)
  • साहित्य एकादमी फेलोशिप (1968)
  • टेम्पलटन पुरस्कार (1975)
  • सन् 1962 में राधाकृष्णन को “ब्रिटीश एकेडमी ” का सदस्य बनाया गया
  • पोप जान पाल ने इनको “गोल्डन स्पर” भेट किया
  • इंग्लैण्ड सरकार द्वारा इनको “आर्डर आफ मेरिट” का सम्मान प्राप्त हुआ।

राधाकृष्णन को 1933 से 1937 तक लगातार पांच बार साहित्य में नोबेर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। हालांकि यह पुरस्कार उन्हे कभी नही मिला।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Death)

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई भारत में हुई थी। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे और भारतीय गणराज्य के दूसरे राष्ट्रपति (19621967) थे।

राधाकृष्णन का निधन एक लम्बी बीमारी के बाद हुआ था। उन्हे किडनी की बीमारी थी और वे कई महीनों से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रन्त से सम्मानित किया गया ।

शिक्षा के क्षेत्र मे उनका योगदान हमेशा याद किया जाता है, इसलिए 5 सिंतम्बर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ़ राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्ति किया जाता है। इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षको को उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किये जाते है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण् व्यक्तित्व थे। उन्होने भारतीय संस्कृति, शिक्षा, राजनीति और धर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारतीय दर्शन के एक महान प्रतिनिधि थे और उन्होने भारत को विश्व समुदाय में एक सम्मानित स्थान दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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FAQ

Q – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब हुआ था?

ANS – डॉ सर्वपल्ली राधकृष्णन का जन्म 5 सिंतम्बर 1988 को हुआ था

Q – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने कहा से शिक्षा प्राप्त की थी?

ANS – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दिल्ली और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी।

Q – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शौ क्या थे?

ANS – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शौक थे, पुस्तके पढ़ना, सुगीत सुनना और यात्रा करना।

Q – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु की कब हुई थी?

ANS – डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को हुई थी

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