आखिर क्यो लगाते है, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग? जानिए इससे जुड़ी कथाए

आखिर क्यो लगाते है, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग, दरअसल यशोदा मॉ दिन में आठ बार (आठ पहर) कान्हा को भोजन कराती थी, उन्हें प्रत्येंक दिन के आठ पहर कें अनुसार, सात दिनों को मिलाकर 56 भोग तैयार किये, इसमें वही व्यजंन थे जो कन्हैया को पसंद थे, तब से श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई

सभी देवताओं के देवताआखिर क्यो लगाते है, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग?

भगवान श्रीकृष्ण को समस्त देवताओं का देवता माना जाता है। वे सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है। उनकी कृपा से ही संसार का संचाल होता है। भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त कई तरह के उपाय करते है। इन उपायों में से एक है भगवान को भोग लगाना। भगवान श्री कृष्ण को 56 भाेग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर क्यो भगवान श्री कृष्ण को 56 भाेग लगाये जाते है? भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म में क प्रमुख देवता है। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था और वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते है। कृष्ण को करूणा, संरक्षण और प्रेम के देवता के रूप में पूजा जाता है।

धार्मिक मान्यताए और कथाएं

इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताए और कथाए प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा की शुरूआत इन्द्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद हुई थी। इन्द्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठाये रखा था। इस दौरान वे भूखे प्यासे रहे। जब सात दिन बाद इन्द्र का प्रकोप थमा, तो भगवान श्री कृष्ण ने सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खाये थे। तब से ही भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई।

धार्मिक मान्यताए और कथाए वे विश्वास और कहानिया है जो लोगो काे उनके धर्म के बारे में बताती है। वे लोगो को उनके धर्म के बारें में समझने और उसमें शामिल होने में मदद करती है। धार्मिक मान्यताए अक्सर ईश्वर या देवताओं के बारे में होती है। वे लोगो को बताते है कि इन देवताओं की क्या शक्तिया है और वे लोगो की क्या मदद कर सकते है। धार्मिक मान्यजाएं लोगो को बताती है कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग इसलिए लगाए जाते है क्योंकि 56 एक पूर्ण संख्या है। यह पूर्णता का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्ण को पूर्ण और सर्वज्ञ माना जाता है। इसलिए उन्हें 56 भोग आर्पित करना पूर्णता का प्रतीक है।

अन्य मान्यताए

इसके अलावा भगवान श्री कृृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा के पीछे एक मान्यता है। यह मान्यता है कि 56 भोगो में सभी प्रकार के व्यंजन होते है। इनमें कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन, और मीठा जैसे सभी छह रसों के व्यंजन शामिल होते है। ये छह रस जीवन के छह पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते है। कड़वा रस निराशा का प्रतीक है, तीखा रस क्रोध का प्रतीक है, कसैला रस कड़वाहट का प्रतीक है, अम्ल रस अशांति का प्रतीक है , नमकीन रस उदासी का प्रतीक है और मीठा रस आनंन्द का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्ण को सभी प्रकार का व्यंजन अर्पीत करने का मतलब है कि हम उनके समझ अपने सभी प्रकारके भावों को प्रस्तुत कर रहे है।

भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा

भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा के पीछे कई कथाए भी प्रचलित है। एक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा की शुरूआत गोपियों ने की थी। गोपियां भगवान श्री कृष्ण को पाने के लिए यमुना में ब्रम्हा मुहुर्त में स्नान करती थी। स्नाान के बाद वे मॉ कात्यायनी से प्रार्थना करती थी कि वे उन्हे भगवान श्री कृष्ण का वर प्राप्त करा दें। इसके बदले में वे मॉ कात्यायनी को उद्दापन में 56 तरह के आहार देने की मन्नत मांगती थी। इसी के बाद से भगवान श्री कृष्ण को 56 भाेग लगाया जाने लगा।

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा की शुरूआत भगवान श्री कृष्ण और राधा के विवाह से हुई थी। भगवान श्री कृष्ण और राधा के विवाह में 56 भोगो का भोग लगाया गया था। तब से ही भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई।

भगवान श्रीकृष्ण का भक्तिभाव

इन मान्यताओं और कथाओं के अलावा, भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि यह एक प्रकार का भक्ति भाव है। जब हम भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाते है, तो उन्हें हम अपना प्यार और श्रध्दा व्यक्त करते है। हम यह बताते है कि हम उनकी कृपा के पात्र बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

अंतत: भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी प्रचलित है। इस परंपरा के पीछे कई कारण है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण है भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भाव।

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FAQ

Q : भगवान श्रीकृष्ण के भोग में सबसे आवश्यक वस्तु क्या है?

ANS : माखन और मिसरी।

Q : 56 भाेग का मतलब क्या होता है?

ANS : वह सभी प्रकार का खाना जो हम भगवान को अर्पित कर सकते है

Q : भगवान को भोग कब लगाना चाहिए

ANS : पूजा–पाठ के दौरान

Q : जन्माष्टमी में कितन भोग होते है

ANS : 56 भोग

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